टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने एक बड़ा फैसला लिया है तथा टैरिफ प्लान को लेकर किए जाने वाले विज्ञापनों के लिए ताजा दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें पारदर्शिता पर जोर दिया गया है ताकि उपभोक्ता अपनी जरूरत और सुविधा के मुताबिक टैरिफ प्लान का चयन कर सकें। यह दिशा-निर्देश इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट दोनों प्रकार के विज्ञापनों पर लागू होंगे।
ट्राई के अनुसार टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को अतिरिक्त नियमों और शर्तों की जानकारी को प्रमुखता से देनी चाहिए तथा प्रत्येक टैरिफ के साथ विशेष नियमों और शर्तों के बारे में एक अलग लिंक उपलब्ध होना चाहिए। जहां पर टैरिफ के संबंध में सभी प्रकार की स्पष्ट जानकारी हो। यह जानकारी टेलीकॉम कंपनी की वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर भी उपलब्ध होनी चाहिए।
टेलीकॉम कंपनियों की ओर से प्रयोग किए जा रहे मौजूदा उपाय उतने पारदर्शी नहीं है, जितना उन्हें होना चाहिए। कई कंपनियां अतिरिक्त नियमों और शर्तों की जानकारी प्रमुखता से नहीं देती हैं। कंपनियां एक ही वेबपेज पर सारे नियमों और शर्तों को देती हैं। इस कारण संबंधित जानकारी या तो खो जाती है या फिर उपभोक्ताओं के लिए अस्पष्ट और समझ से बाहर हो जाती है।
ट्राई ने कहा है कि विभिन्न हितधारकों ( Stakeholders ) से मिले सुझावों के आधार पर रेगुलेटरी ने टैरिफ विज्ञापनों में बदलाव का फैसला किया है। कंपनियों को प्रत्येक तिमाही के बाद आने वाले महीने की 7 तारीख से पहले दिशा-निर्देशों के पालन की रिपोर्ट ट्राई के पास भेजनी होगी।
ट्राई के अनुसार कंपनियों को ये सारी जानकारी देनी होगी:-
सभी प्रकार के प्रीपेड टैरिफ में वॉयस कॉल की यूनिट, डाटा और एसएमएस, जहां लागू हो वहां समान दरें, यूसेज की लिमिट, रेट, डाटा के इस्तेमाल के बाद मिलने वाली स्पीड की अलग-अलग जानकारी।
- पोस्टपेड सेवाओं के लिए टैरिफ की सभी प्रकार की लागत की अलग-अलग जानकारी। इसमें एडवांस रेंटल, डिपॉजिट, कनेक्शन फीस इत्यादि शामिल है। इसके अलावा स्टार्टअप किट, टॉप-अप, टैरिफ वाउचर, फर्स्ट रिचार्ज कूपन की अलग-अलग जानकारी देनी होगी।
- टैरिफ प्लान की अवधि और बिल के भुगतान की अंतिम तारीख के बारे में जानकारी देनी होगी। यह जानकारी स्पष्ट, साफ-सुधरी और उपभोक्ताओं को आसानी में समझ में आनी चाहिए।
- बंडल टैरिफ प्लान में सभी प्रकार की जानकारी अलग-अलग दी जानी चाहिए। इसमें वॉइस, डाटा और एसएमएस के साथ नॉन टेलीकॉम प्रोडक्ट की जानकारी देनी होगी।
- टैरिफ प्लान से अलग टेलीकॉम या नॉन टेलीकॉम उत्पाद के लिए ग्राहकों से लिए जाने वाले सभी प्रकार के चार्ज की पूर्ण जानकारी।
- कंपनियों की ओर से डाटा स्पीड आदि को लेकर किए गए सभी वादों की जानकारी स्पष्ट, साफ-सुथरी और उपभोक्ताओं को आसानी से समझ में आनी चाहिए।
- फेयर यूसेज पॉलिसी समेत सभी प्रकार की सामग्री की स्थिति की पूर्ण जानकारी देनी होगी।
अभी ज्यादातर टेलिकॉम कंपनियों की ओर से प्रीपेड या पोस्टपेड टैरिफ प्लान में वॉयस कॉल की यूनिट/वॉल्यूम, डाटा और एसएमएस की स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती है। पोस्टपेड सेवाओं के लिए कंपनियां टैरिफ में एडवांस रेंटल, डिपॉजिट, कनेक्शन फीस आदि की अलग-अलग जानकारी नहीं देती हैं। टेलिकॉम कंपनियां टैरिफ प्लान की अवधि और बिल के भुगतान की अंतिम तारीख की जानकारी तो देती हैं लेकिन यह अस्पष्ट और अधिकांश उपभोक्ताओं की समझ से बाहर होती थी। टेलीकॉम कंपनियां टैरिफ प्लान से अलग लगने वाले चार्ज की जानकारी उपभोक्ताओं को नहीं देती हैं। डाटा आदि को लेकर किए जाने वाले कंपनियों के वादों की जानकारी अस्पष्ट और उपभोक्ताओं की समझ में नहीं आती है। कई कंपनियां फेयर यूसेज पॉलिसी की जानकारी ग्राहकों को नहीं देती हैं। अगर उपभोक्ताओं के हित से देखा जाए तो ट्राई ने वाकई बेहद ही महत्वपूर्ण फैसला लिया है जो कि उपभोक्ताओं के हित में है ।
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