क्या है नया हेल्थ डाटा पॉलिसी ( health data policy ) ? क्या सरकार जल्दबाज़ी में निर्णय ले रही हैं ? एक सप्ताह का समय क्या काफी है ? क्या है बहस?
26 अगस्त 2020 को कोरोना महामारी के बीच सरकार ने नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत नया हेल्थ डाटा मैनेजमेंट पॉलिसी के मसौदे को चर्चा के लिए पेश किया। समय मिला केवल एक सप्ताह।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सलाहकार निकाय, नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर के पूर्व निदेशक टी सुंदरमण ने कहा।
“एक सप्ताह हास्यास्पद है। “
आमतौर पर, जनता से प्रतिक्रियाएं लेने के लिए दिया जाने वाला समय एक महीने से तीन महीने का होता है।
पॉलिसी में क्या है ?
यह पॉलिसी लोगो के लिए एक डिजिटल स्वास्थ्य आईडी बनाना चाहता है। आधार से संभावित रूप से जुड़ा हुआ। 12-अंकों का विशिष्ट पहचान नंबर मिलेगा जिस से हरेक आदमी के बायोमेट्रिक डिटेल्स जुड़े होंगे। डेटाबेस में मेडिकल और व्यक्तिगत जानकारी होगी , जिसे इस नंबर से निकाला जा सकेगा। असल में यह व्यक्तिगत और संवेदनशील डाटा को भी जमा करता है।
पॉलिसी में ‘संवेदनशील डाटा’ किसे कहा गया है यह भी देखें:

इस डाटा को तीन स्तर पर रखा जायेगा : केंद्र ,राज्य और स्वास्थ्य सुविधा। यह मसौदा लोगो के डाटा के स्वामित्व का भी दवा करता है। हालांकि,आपका नाम हटा के, अज्ञात डेटा, अनुसंधान, सांख्यिकीय विश्लेषण और नीति निर्माण के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है, जो की काफी कारगर सिद्ध हो सकती है।
यह मसौदा (draft) सवालो के घेरे में क्यों है ?
1 . इस से कॉर्पोरेट घरानो को मदद मिलेगी
यह डाटा काफी कीमती और संवेदनशील है। इसे जमा करने का जिम्मा किन कंपनियों को मिलता है। कितनी जिम्मेवारी पूर्वक यह कार्य किया जायेगा ? इसकी कोई जानकारी नहीं है। मसलन हो सकता है की कॉन्ट्रैक्ट किसी अमेरिकी कंपनी को मिल जाए और वो पूरा डाटा अपने फायदे के लिए संरक्षित कर लें। इस केस में यह उल्टा भी काम कर सकता है। जैसे की गूगल को पता चल जाए की आपको डायबिटीज या कोई और बीमारी है और गूगल भारतीय फार्मा कंपनियों से ही पैसे वसूल के टार्गेटेड प्रचार परोसने लगे।
सरकार को जल्दबाज़ी न करते हुए पॉलिसी पर चिंतन का समय लेना चाहिए।
2 . आधार जैसी गलती की आशंका
आधार आने से पहले ही डाटा लीक की खबरे आना शुरू हो गई थी। आधार में सुधार किया गया तब तक काफी देर हो चुकी थी और डाटा बिकना शुरु हो गया था।
असल में दिक्कत आधार में नहीं आधार से जुड़े जो हमारा आसपास के इंफ्रास्ट्रक्चर है, एक उदाहरण के तौर पर देखिए अगर किसी कम पढ़े लिखे व्यक्ति या टेक्नोलॉजी से जुड़ाव ना रखने वाले व्यक्ति का आधार अगर किसी फ्रॉड करने वाले के पास चला जाता है तो वह आसानी से उन्हें बेवकूफ बनाकर उनके बैंक अकाउंट से भी पैसे निकाल सकता है। इसलिए सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है या तो वह आधार पर निर्भरता कम करें या फिर ऐसा ढांचा तैयार करें जिससे चोरी को रोका जा सके.
3 . देश में मजबूत डाटा प्रोटेक्शन कानून की कमी
भारत में डाटा प्रोटेक्शन लॉ काफी कमजोर है अगर हम विश्व के बाकी देशों से तुलना करें तो हम अभी काफी पीछे हैं. जब भी डाटा प्रोटक्शन लॉ की बात आती है यूरोप का उदाहरण दिया जाता है, वहां नियम साफ है, जैसे: “अगर मैं किसी साइट से अपनी आईडी हटाकर उस पर से अपना सारा डाटा मिटाना चाहता हूं” तो साइट आर्डर की जिम्मेवारी बनती है की कुछ समय जैसे कि 3 महीनों के अंदर मेरा सारा डाटा हटा दिया जाए अगर ऐसा नहीं होता है और कोई भी व्यक्ति कानून के सामने इस दावे को सही साबित कर देता है कि उसका डाटा नहीं मिटाया गया तो साइट ऑनर पर भारी जुर्माना लगाया जाता है।
उसी तरह के नियम यहां भी होने चाहिए जैसे अगर मुझे सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं पर भरोसा नहीं है पर अगर मैं चाहता हूं कि मेरा डाटा डिलीट कर दिया जाए तो सरकार कि यह जिम्मेवारी बनती है कि उसे डिलीट किया जाएगा
4 . कैसी होनी चाहिए पॉलिसी?
हेल्थ डाटा पॉलिसी को काफी सिक्योर बनाना चाहिए जिससे कि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानकारी ना ले पाए। यह जानकारी सिर्फ नागरिकों के पास ही रखी जानी चाहिए कोई भी हॉस्पिटल,कॉरपोरेट घराने , इंश्योरेंस कंपनियां वगैरह को इनकी जानकारी नहीं दी जानी चाहिए। मान लीजिए अगर आपके स्वास्थ्य की जानकारी इंश्योरेंस कंपनियों के पास चली गई तो वह आपको इंश्योरेंस क्लेम करने नहीं दे सकते हैं या ज्यादा प्रीमियम और कम मुनाफे वाली स्कीम ही आपको देंगे अगर यह जानकारी कारपोरेट घरानों के पास चली गई तो यह मुफ्त में टारगेटेड एडवरटाइजिंग का काम करेगी।
आपकी स्वास्थ्य जानकारी बेहद निजी है। यह आपके कंसेंट पर ही आपके डॉक्टर को भी दी जानी चाहिए। सीधे शब्दों में कहूं तो इसके मालिक नागरिक खुद होने चाहिए ना कि सरकार। इसे आधार या बाकी जरूरी पहचान पत्रों पर भी ज्यादा निर्भर नहीं करना चाहिए नहीं तो फिर से डाटा लीक होने की संभावना है बनी रहेंगी।
Bhot Sahi jaankaari